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    एक नज़र में

    उत्तराखण्ड: संक्षिप्त परिचय

    उत्तराखण्ड भारतीय संघ का 27वां राज्य है जिसकी स्थापना 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से विभाजित होकर हुई थी। हिमालयी भूभाग में स्थित यह राज्य प्राचीन काल से ही तीर्थाटन, पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध रहा है।
    उत्तराखण्ड गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों का उद्गम स्थल है, जिससे इसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्ता और भी बढ़ जाती है। यहाँ की सघन वन संपदा और समृद्ध जैव विविधता उत्तराखण्ड को पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। राज्य की सीमाएँ चीन (तिब्बत) और नेपाल से मिलती हैं, जिससे इसकी सामरिक भूमिका भी विशेष महत्त्व रखती है। उत्तराखण्ड को दो मण्डलों गढ़वाल और कुमाऊँ में बाँटा गया है। प्राचीन ग्रंथों में गढ़वाल को ‘केदारखण्ड’ और कुमाऊँ को ‘मानसखण्ड’ के नाम से जाना गया है, जो इस क्षेत्र की आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है।
    देवभूमि के रूप में पहचान
    उत्तराखण्ड को ‘देवभूमि’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र धाम हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु इन पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं। यह यात्रा सामान्यतः अप्रैल-मई से शुरू होकर अक्टूबर-नवंबर तक चलती है। सर्दियों में जब मुख्य मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं, तब पूजा उनके शीतकालीन गद्दी स्थलों – खरसाली, मुखवा, उखीमठ और पांडुकेश्वर में संपन्न होती है। वर्ष 2024 से उत्तराखण्ड सरकार ने शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की है, जिससे तीर्थयात्री शीतकाल में शीतकालीन गद्दीस्थल के दर्शन कर पाएंगे।
    धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर
    हरिद्वार उत्तराखण्ड का प्रमुख धार्मिक नगर है, जो कुंभ और प्रतिवर्ष होने वाली कांवड़ यात्रा के लिए विश्वप्रसिद्ध है। वहीं, ऋषिकेश योग, ध्यान और अध्यात्म का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बन चुका है। यह शहर अब रिवर राफ्टिंग और अन्य साहसिक खेलों के चलते भी युवाओं का आकर्षण बन रहा है।कुमाऊँ क्षेत्र के नैनादेवी मंदिर, जागेश्वर, चितई मंदिर और कैंचीधाम भी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। राज्य सरकार अब मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के तहत कुमाऊँ के 48 प्रमुख मंदिरों का विकास कर रही है।
    प्रकृति, वन्य जीवन और साहसिक पर्यटन
    उत्तराखण्ड में कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, फूलों की घाटी और ऊँचाई पर स्थित बुग्याल (अल्पाइन घास के मैदान) जैव विविधता के समृद्ध उदाहरण हैं। यह राज्य साहसिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर तेजी से उभर रहा है। रिवर राफ्टिंग, ट्रेकिंग, बंजी जंपिंग, पैराग्लाइडिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, स्कीइंग, माउंटेनियरिंग और कैंपिंग जैसी गतिविधियाँ यहाँ खूब लोकप्रिय हो रही हैं।
    उत्तराखण्ड की जीवंत संस्कृति
    उत्तराखंड सांस्कृतिक रूप से अत्यधिक समृद्ध राज्य है, यहाँ हरेला, इगास, बग्वाल, फूलदेई, घुघुतिया, भिटोली और घी संक्रांति जैसे पारंपरिक त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। 12 वर्ष के अंतराल पर आयोजित होने वाली नंदा राज जात यात्रा इस हिमालयी क्षेत्र की आध्यात्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत की भव्य प्रतीक है। उत्तराखंड आध्यात्मिक, प्राकृतिक, सांस्कृतिक और साहसिक पर्यटन के लिए एक आदर्श गंतव्य है। देवभूमि की विशिष्ट पहचान को कायम रखते हुए, उत्तराखंड राज्य सतत विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपनी अनूठी विरासत को संरक्षित करने का कार्य कर रहा है।